Sunday 23 August 2015

"अभिलाषा" ने पूछा है
BS
कृष्ण की गीता मुझे कंठस्थ हैं
परतुं
कृष्ण की गीता को ,जीवन में, प्रति पल कैसे जीए?
उत्तर :
अभिलाषा
मेरी दृष्टि में
"गीता" का एक ही "उपदेश" है
वह यह है
कि
"अपने" काम से भागो "नही"
"उसके" काम में आओ "नही"।
जीवन को "खेल" की भांति जीना ,हमारा काम है और
जीवन मरण का खेल बनाना ,उसका काम है।
मनुष्य का चित
इसके
विपरीत चलता है।
यही
उस की "समस्या" का कारण है।
तो
"अपने" काम से "भागो" नही
और
"उसके "काम में भाभागीदार मत बनो।

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