Saturday 15 August 2015

शारदा जी ने पूछा है
कि मेरा, घर में बैठे रहने से मन घबराता है ।
मेरे पति को, मेरी घर से बाहर जाने की प्रवृत्ति से आपत्ति होती है।
मैं,अपने दैनिक कामों को करने के बाद, घर में नही बैठ पाती।
मैं किस तरह ,अपने को बदलू?
उत्तर
शारदा जी
हम तीन अवस्थाओं में घर से बाहर निकलते हैं।
1 जब,अकेलापन काटता है या डराता है।
2 जब जीवनयापन के लिए नौकरी या व्यवसाय के लिए हमें संसार में जाना पड़ता है।
3 जब जीवन में बहुत खुशी हो ,तो उसे बाँटने के लिए, लोगों तक पहुंचाना होता है।
आप(1)अवस्था की शिकार है।इस मनःस्थिति का तो उपचार होना चाहिए।
जो व्यक्ति अकेलेपन से बचने के लिए संसार में जाता है, वह ओर ज्यादा अकेला अनुभव करता है।
जो व्यक्ति अपने साथ रहने की कला को जानता है वह अपने घर में भी आनंदित रहता है और घर के बाहर भी।
अपने साथ रहना,"अकेलेपन "का उपचार हैं।

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