Sunday 23 August 2015

मानसी
ने पूछा है
BS
1
जीवन की प्रति पल होती घटनाओं में,कौन सा काम प्रभू ने मुझे करने को दिया है और कौन सा स्वयं के लिए रखा है, इसका बोध कैसे होता है।
2
यह भी बताए
कि
कौन सी आवाज भीतर , आत्मा की है
और
कौन सी,अंहकार की?
यह अनुमान किस आधार पर किया जा सकता है
?
उत्तर:
जिजिन कार्यो को
"पूरा प्रयास" करने के पश्चात ""भी""
नहीं
किया जा सके
वह
काम करना,
"हमारा काम" नहीं है
उसे
प्रभू पर ही
छोड़ देना चाहिए।
2
विषम परिस्थितियों में ,जिस आवाज़ का अनुसरण कर , आप अपने उस संकट से बाहर निकल आए
वह स्वर आपकी "आत्मा "का होता है
और
सुखी समय में
जिस आवाज का अनुगमन कर,
आप ,अपने दुख के समय को निमंत्रण दे देते हैं, वह आप के "अहंकार" की आवाज है।

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