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स्वतंत्रता और स्वछंदता में क्या भेद है?
और
इसे,कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
स्वतंत्रता और स्वछंदता में क्या भेद है?
और
इसे,कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर :
बाहरी स्वछंदता को " स्वतंत्रता" कहते हैं।
और
भीतरी स्वतंत्रता को "स्वछंदता" कहते हैं।
बाहरी स्वछंदता को " स्वतंत्रता" कहते हैं।
और
भीतरी स्वतंत्रता को "स्वछंदता" कहते हैं।
स्वतंत्र(Freedom)
हर मानव ,ईशवर द्वारा ,मुक्त बनाया गया है।
"यही,उसकी अंतरतम की प्यास है" ।
हर मानव ,ईशवर द्वारा ,मुक्त बनाया गया है।
"यही,उसकी अंतरतम की प्यास है" ।
हर व्यक्ति,बाहरी जीवन,अपनी शैली से जीना चाहता है
पर
सामाजिक और आर्थिक बंधनों के कारण ,वह दूसरों के,तंत्र से चलने पर ,बाध्य होता है।
इसे ,परतंत्रता कहते हैं।
परतंत्रता के विपरीत पायी गयी परिस्थिति को,स्वाधीनता या स्वतंत्रता कहते हैं।
मूलतः
स्वतंत्रता,शारीरिक तल पर पायी गयी एक परिस्थिति है ।
पर
सामाजिक और आर्थिक बंधनों के कारण ,वह दूसरों के,तंत्र से चलने पर ,बाध्य होता है।
इसे ,परतंत्रता कहते हैं।
परतंत्रता के विपरीत पायी गयी परिस्थिति को,स्वाधीनता या स्वतंत्रता कहते हैं।
मूलतः
स्वतंत्रता,शारीरिक तल पर पायी गयी एक परिस्थिति है ।
स्वछंदता(Liberation)
अपने भीतर खोजी गई, अपनी प्राकृतिक शैली से जीने की अवस्था को स्वछंदता कहते हैं।
अपनी मुक्त अवस्था में जीना ही,"स्वछंदता" है।
अपने भीतर खोजी गई, अपनी प्राकृतिक शैली से जीने की अवस्था को स्वछंदता कहते हैं।
अपनी मुक्त अवस्था में जीना ही,"स्वछंदता" है।
"स्वतंत्र" जीने के लिए बाहरी क्रांति चाहिए
और
"स्वछंद" जीने के लिए भीतरी ध्यान और जागरण चाहिए।
और
"स्वछंद" जीने के लिए भीतरी ध्यान और जागरण चाहिए।
"स्वतंत्र" होने के लिए, Leader चाहिए
और
"स्वछंद" होने के लिए, spiritual master चाहिए।
और
"स्वछंद" होने के लिए, spiritual master चाहिए।
Leader, जंजीरों से, आजादी लेना सिखाता है
और
गुरू,भीतर के,मुक्त आकाश में "उड़ना"।
और
गुरू,भीतर के,मुक्त आकाश में "उड़ना"।
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