जो मिल जाता है
उसका
कोई "मूल्य" नहीं रह जाता।
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जिसमें
मूल्य
नही रह जाता
उसमें कोई उत्सुकता नहीं होती।
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उत्सुकता के बिना "मन" नहीं रह सकता
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मन को जिंदा रखने के लिए कोई असाध्य लक्ष्य चाहिए।
कोई "मूल्य" नहीं रह जाता।
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जिसमें
मूल्य
नही रह जाता
उसमें कोई उत्सुकता नहीं होती।
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उत्सुकता के बिना "मन" नहीं रह सकता
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मन को जिंदा रखने के लिए कोई असाध्य लक्ष्य चाहिए।
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असाध्य लक्ष्य,असंभव होता है ।
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असंभव मिल नहीं पाता इसलिए उसका मूल्य हमेशा रहता है ।
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और जिसका मूल्य रह जाता है उसमें मन लगा रहता है।
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अर्थात
मन
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